मास टिंबर

बिल्डिंग बनाने के लिए लकड़ी का ज़्यादा इस्तेमाल किया गया है, ताकि बिल्डिंग से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जा सके.

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मास टिंबर

ग्रेडिएंट कैनोपी में, लंबे समय तक मज़बूती बनाए रखने वाले मास टिंबर का इस्तेमाल अलग-अलग चीज़ें बनाने के लिए किया गया है. जैसे, फ़ॉर्मवर्क, रेलिंग, और दरवाज़े बनाने के लिए. फ़ोटो: मार्क विकंज़ ने खींची है.

ग्रेडिएंट कैनोपी के लिए, हमें इंटरनैशनल लिविंग फ़्यूचर इंस्टिट्यूट (आईएलएफ़आई) के लिविंग बिल्डिंग चैलेंज (एलबीसी) का मटीरियल्स पैटल सर्टिफ़िकेट मिला है. इसे बनाते समय, हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि इसमें ऐसे ईको-फ़्रेंडली मटीरियल को इस्तेमाल करने के कौनसे तरीके अपनाए जाएं जिनसे लोगों की सेहत पर कोई बुरा असर न पड़े. इसलिए, हमने ईको-फ़्रेंडली सोर्स से हासिल किए गए मास टिंबर को बिल्डिंग में इस्तेमाल करने के अलग-अलग तरीके खोजे, ताकि वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करके स्टोर करने (कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन) वाली इस लकड़ी को हम बिल्डिंग बनाने के काम में इस्तेमाल कर सकें.

मास टिंबर को कंस्ट्रक्शन के काम में इस्तेमाल करने के लिए, एक खास तकनीक की मदद ली जाती है. इसमें, लकड़ी को कंप्रेस करके कॉलम, बीम, दीवारें, फ़र्श, और छतें बनाई जाती हैं. ऐसे मटीरियल का इस्तेमाल करके बिल्डिंग बनाने में, परंपरागत तरीके से बिल्डिंग बनाने की तुलना में काफ़ी कम कार्बन इस्तेमाल होता है. इस बिल्डिंग को बनाने में बहुत ज़्यादा मात्रा में मास टिंबर का इस्तेमाल हुआ है. इसे बनाने के दौरान, हमने जो सीखा उसे हमने Google के अन्य कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में भी लागू किया.

कुछ समय से हम अपने सभी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में मास टिंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसकी प्राकृतिक खूबियों की वजह से हमें ऐसे ऑफ़िस बनाने में मदद मिलती है जहां लोगों को अच्छा माहौल मिलता है, उनकी प्रॉडक्टिविटी बढ़ती है, और काम करने में उनका मन लगता है. हम डिज़ाइन के साथ प्रकृति की खूबियों का इस्तेमाल करके ऐसे ऑफ़िस बनाते हैं जहां लोगों को अच्छा माहौल मिल सके. इसे बायोफ़ीलिया कहते हैं. साथ ही, बिल्डिंग के अंदर वुड एलिमेंट को शानदार रूप में खुले तौर पर दिखाने से, कोटिंग और पेंट जैसी अतिरिक्त चीज़ों की ज़रूरत नहीं पड़ती और बिल्डिंग के अंदर होते हुए भी लोगों को प्रकृति से जुड़े होने का एहसास होता है. जब हमने ग्रेडिएंट कैनोपी का डिज़ाइन बनाना शुरू किया, तब हम पूरी बिल्डिंग को मास टिंबर का इस्तेमाल करके बनाना चाहते थे. हमें काफ़ी लंबे बीम चाहिए थे, जिन्हें मास टिंबर से बनाना मुमकिन नहीं था. हालांकि, हमने बिल्डिंग के अंदर कुछ स्ट्रक्चर को बनाने के लिए इसका इस्तेमाल ज़रूर किया.

ग्रेडिएंट कैनोपी में, मास टिंबर एलिमेंट का इस्तेमाल, क्रॉस-लैमिनेटेड टिंबर (सीएलटी) के रूप में किया गया है. यह खास तरह का इंजीनियर्ड वुड होता है, जिसे लकड़ी के अलग-अलग टुकड़ों को आपस में चिपकाकर बनाया जाता है. लकड़ी के स्ट्रक्चर को ज़्यादा मज़बूत बनाने के लिए, ऐसा किया जाता है. हमने दूसरे लेवल के कंक्रीट फ़्लोर के लिए, फ़ॉर्मवर्क (जिस सांचे में कंक्रीट भरा जाता है) के तौर पर, सीएलटी का इस्तेमाल किया. इससे, बिल्डिंग को ज़्यादा मज़बूती मिलती है. हमने सीएलटी इस्तेमाल कुछ अलग तरीके से किया. आम तौर पर, कंक्रीट के सेट हो जाने के बाद इसे हटा दिया जाता है. हालांकि, हमने इसे अपने फ़ाइनल डिज़ाइन में बरकरार रखा. इससे ग्राउंड फ़्लोर के लिए उसने छत का काम किया और अंदर बनाई गई गैलरी के लिए रेलिंग का काम किया. पूरी बिल्डिंग में, दरवाज़े और उनके फ़्रेम बनाने के लिए भी लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा खास तौर पर, मीटिंग पॉड (साउंड प्रूफ़ कमरे) और कॉन्फ़्रेंस रूम बनाने के लिए किया गया है. इस दौरान, हमारी टीम ने बिल्डिंग बनाने वाले वेंडर के साथ मिलकर काम किया, ताकि हमें बिल्डिंग की पूरी डोर असेंबली के लिए डिक्लेयर लेबल सर्टिफ़िकेट मिल सके. इससे हमें बिल्डिंग के बाकी हिस्सों में इस्तेमाल करने के लिए, ऐसे मटीरियल को प्राथमिकता देने में मदद मिली जिनसे बिल्डिंग के अंदर अच्छा और सुरक्षित माहौल बनाया जा सके.

फ़ोटो: मार्क विकंज़ ने खींची है.

हमने सीएलटी फ़ॉर्मवर्क को अपने फ़ाइनल डिज़ाइन में बरकरार रखा. इससे ग्राउंड फ़्लोर के लिए उसने छत का काम किया और अंदर बनाई गई गैलरी के लिए रेलिंग का काम किया. फ़ोटो: मार्क विकंज़ ने खींची है.

जब हमने ग्रेडिएंट कैनोपी का डिज़ाइन बनाना शुरू किया, तब तक माउंटेन व्यू में सीएलटी का इस्तेमाल इतने बड़े पैमाने पर कभी नहीं हुआ था. इसलिए, हमने शुरुआत में सीएलटी एलिमेंट के इस्तेमाल के हिसाब से, पूरी बिल्डिंग का मॉकअप तैयार किया. साथ ही, शहर के अधिकारियों को इस स्ट्रक्चर को देखने और इसकी जांच करने के लिए बुलाया. इससे हमें यह पक्का करने में मदद मिली कि यह स्ट्रक्चर सभी शर्तों के मुताबिक है. फ़िज़िकल प्रोटोटाइप बनाने से हमें साथ मिलकर, ऐसे तरीके खोजने में मदद मिली जिनसे बिल्डिंग को ईको-फ़्रेंडली मटीरियल का इस्तेमाल करके बनाया जा सके और यह शहर में बिल्डिंग बनाने की ज़रूरी शर्तों को पूरा करे.

हमने इस बात का भी खास ध्यान रखा कि ग्रेडिएंट कैनोपी को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ियां ईको-फ़्रेंडली सोर्स से ली जाएं. ग्रेडिएंट कैनोपी को बनाने में इस्तेमाल की गई 99% से ज़्यादा लकड़ियां (कुछ समय के लिए इस्तेमाल की गई और फ़ाइनल डिज़ाइन में भी बरकरार रखी गई), ऐसे जंगल से लाई गई हैं जिसे ज़िम्मेदारी के साथ मैनेज किया जाता है. इसके लिए, फ़ॉरेस्ट स्टुअर्डशिप काउंसिल (एफ़एससी) की ओर से उसे सर्टिफ़िकेट भी मिला है. फ़ॉर्मवर्क बनाने जैसे जिन कामों में लकड़ियों का कुछ समय तक ही इस्तेमाल होता है उनके लिए हमने एफ़एससी सर्टिफ़ाइड लकड़ियों का इस्तेमाल किया. इन लकड़ियों को आगे अन्य प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, हमें पता था कि इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल हुई कुल लकड़ियों में, कुछ समय के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों का प्रतिशत काफ़ी ज़्यादा था. इसलिए, इन लकड़ियों का हिसाब रखना भी ज़रूरी था. एफ़एससी सर्टिफ़ाइड लकड़ियां इस्तेमाल करने का मतलब यह नहीं है कि हम सिर्फ़ भरोसेमंद सोर्स से लकड़ियां मंगाते हैं, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि हम रीफ़ॉरेस्टेशन (नए जंगल बसाना) की कोशिशों में अपना योगदान देते हैं. हमारा मानना है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना विकास करने के लिए, भरोसेमंद सोर्स से लिए गए और सेहत को ध्यान में रखकर बनाए गए मटीरियल का इस्तेमाल ज़रूरी है. ऐसा इसलिए भी ज़रूरी है, ताकि एक ऐसी बड़ी सर्कुलर इकॉनमी बनाई जा सके जिसमें चीज़ों का फिर से इस्तेमाल हो और पर्यावरण को हुए नुकसान को ठीक किया जा सके.

ग्रेडिएंट कैनोपी में मास टिंबर को लगाया जा रहा है.

ग्रेडिएंट कैनोपी में मास टिंबर को लगाया जा रहा है.

ग्रेडिएंट कैनोपी को डिज़ाइन करने के दौरान, मास टिंबर को इस्तेमाल करने के तरीकों पर हमने जो रिसर्च की, अब उससे हमें Google की अन्य बिल्डिंग डिज़ाइन करने में मदद मिल रही है. उदाहरण के लिए, हमने हाल ही में सनीवेल, कैलिफ़ोर्निया में मास टिंबर से बनी हमारी पहली बिल्डिंग, 1265 बरेगस का काम पूरा किया है. वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करके स्टोर करने (कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन) वाली मास टिंबर की खूबी की वजह से, स्टील या कंक्रीट से बने स्ट्रक्चर की तुलना में इससे 96% कम कार्बन उत्सर्जन होगा. ग्रेडिएंट कैनोपी को बनाने के दौरान हमने काफ़ी कुछ सीखा, जिससे पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, ऐसी बिल्डिंग बनाने की हमारी कोशिशों को बढ़ावा मिला जहां लोगों को स्वास्थ्य के नज़रिए से बेहतर माहौल दिया जा सके.